चैटजीपीटी कितनी ऊर्जा और पानी इस्तेमाल करती है? सैम ऑल्टमैन ने बताया आसान शब्दों में!
आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), जैसे कि ChatGPT, हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। हम इससे सवाल पूछते हैं, कहानियाँ लिखते हैं, और बहुत कुछ करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम ChatGPT से कोई सवाल पूछते हैं, तो इसमें कितनी बिजली और कितना पानी खर्च होता है?
हाल ही में, OpenAI के मालिक सैम ऑल्टमैन ने इस बारे में कुछ बातें बताई हैं। उनका मकसद AI के पीछे की ऊर्जा और पानी की कहानी को समझाना है। आइए, इसे बहुत ही आसान भाषा में समझते हैं।
एक ChatGPT सवाल में कितनी ऊर्जा और पानी लगता है?
सैम ऑल्टमैन ने बताया कि जब आप ChatGPT से एक सवाल पूछते हैं, तो इसमें कितनी बिजली और पानी खर्च होता है:
बिजली की खपत:
उन्होंने कहा कि एक बार पूछने पर करीब 0.34 वाट-घंटा (Wh) बिजली खर्च होती है। यह कितनी कम है, यह बताने के लिए उन्होंने कुछ उदाहरण दिए:
- किचन के ओवन जितना: यह उतनी ही बिजली है जितनी आपके ओवन को एक सेकंड से थोड़ा ज़्यादा चलाने में लगती है।
- LED लाइट जितना: या फिर, यह एक अच्छी LED लाइट को लगभग 2 मिनट तक जलाने जितनी बिजली है।
हालांकि, कुछ रिसर्च कहती हैं कि एक सवाल पर 2.9 Wh तक बिजली लग सकती है। यह दिखाता है कि अभी AI की ऊर्जा खपत को पूरी तरह समझने के लिए हमें और जानकारी चाहिए।
पानी की खपत:
ऑल्टमैन ने यह भी बताया कि एक ChatGPT सवाल पर 0.000085 गैलन पानी (लगभग 0.00032 लीटर) खर्च होता है। यह सुनने में बहुत कम लगता है, जैसे एक चम्मच के पंद्रहवें हिस्से जितना।
लेकिन एक और स्टडी में कहा गया है कि अगर आप ChatGPT से लंबी बातचीत करते हैं, तो इसमें 0.5 लीटर पानी तक खर्च हो सकता है, जो दो पैकेट मैगी बनाने जितने पानी के बराबर है!
यहाँ एक छोटी तुलना दी गई है:
खासियत | ChatGPT सवाल (ऑल्टमैन का अंदाज़ा) | दूसरे अंदाज़े |
---|---|---|
बिजली खपत | 0.34 Wh | 2.9 Wh (कुछ रिसर्च के मुताबिक) |
पानी खपत | 0.000085 गैलन (~0.00032 लीटर) | 0.5 लीटर (लंबी बातचीत के लिए) |
रोजमर्रा की तुलना | ओवन: ~1 सेकंड, LED लाइट: ~2 मिनट | मैगी: 2 पैकेट बनाने जितना पानी |
AI इतनी ऊर्जा और पानी क्यों इस्तेमाल करता है, और यह क्यों ज़रूरी है?
पर्यावरण पर बढ़ता दबाव:
AI आज बहुत काम आ रहा है, लेकिन इससे पर्यावरण पर भी असर पड़ रहा है। AI सिस्टम चलाने के लिए बहुत ज़्यादा बिजली और पानी लगता है। कुछ अनुमानों के हिसाब से, 2025 के आखिर तक, AI जितनी बिजली इस्तेमाल करेगा, वह बिटकॉइन माइनिंग से भी ज़्यादा हो सकती है।
सोचिए, मार्च 2025 में ChatGPT को 5.56 अरब बार देखा गया था! जब इतने सारे लोग इसे इस्तेमाल करते हैं, तो हर छोटे सवाल का कुल असर बहुत बड़ा हो जाता है।
पर्यावरण से जुड़ी बड़ी चिंताएँ:
- बहुत ज़्यादा बिजली: AI के बड़े-बड़े डेटा सेंटरों को चलाने और ठंडा रखने के लिए ढेर सारी बिजली चाहिए।
- पानी का इस्तेमाल: इन डेटा सेंटरों को ठंडा करने के लिए पानी की भी बहुत ज़रूरत होती है, और यह इस बात पर निर्भर करता है कि डेटा सेंटर कहाँ बना है।
- भविष्य की चुनौती: जैसे-जैसे AI और बढ़ेगा, हमें पर्यावरण को बचाने के लिए ऐसे तरीके खोजने होंगे जो पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएँ।
दूसरी तकनीकों से तुलना:
- गूगल सर्च: एक गूगल सर्च में करीब 0.3 Wh बिजली लगती है, जो ChatGPT से थोड़ी कम है।
- AI से लिखा ईमेल: वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, GPT-4 से 100 शब्दों का एक ईमेल लिखने में एक बोतल से ज़्यादा पानी खर्च हो सकता है।
सैम ऑल्टमैन का AI के भविष्य पर नज़रिया:
ऑल्टमैन को लगता है कि भविष्य में “दिमाग (इंटेलिजेंस) का खर्चा बिजली के दाम जितना हो जाएगा।” मतलब, AI को चलाने का सबसे बड़ा खर्च बिजली का होगा। उन्होंने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा:
“2030 के आस-पास, बुद्धि और ऊर्जा—यानी नए आइडिया और उन्हें हकीकत में बदलने की ताकत—बहुत भरपूर मात्रा में होंगी। ये दोनों चीजें लंबे समय से इंसान की तरक्की में रुकावट रही हैं।”
इसका मतलब है कि अगर हमारे पास भरपूर बुद्धि और ऊर्जा हो, और सरकारें भी अच्छी हों, तो हम कुछ भी कर सकते हैं।
AI और पर्यावरण: आगे का रास्ता
पारदर्शिता की ज़रूरत:
सैम ऑल्टमैन का यह खुलासा AI इंडस्ट्री में ज़्यादा ईमानदारी और साफ जानकारी देने की तरफ एक कदम है। जैसे-जैसे लोग AI के पर्यावरणीय असर के बारे में सवाल पूछते हैं, ऐसी जानकारी कंपनियों की नीतियों और लोगों की सोच को बदल सकती है।
कुछ बड़ी चुनौतियाँ:
- नापने का एक जैसा तरीका नहीं: AI की ऊर्जा और पानी की खपत को नापने के अभी अलग-अलग तरीके हैं, जिससे सही अनुमान लगाना मुश्किल होता है। हमें एक जैसे तरीके की ज़रूरत है।
- जगह के हिसाब से अंतर: डेटा सेंटर कहाँ बना है, उस जगह के हिसाब से पानी और बिजली की खपत बदल सकती है।
- सिर्फ सर्च ही नहीं: AI का कुल असर सिर्फ एक सर्च पर ही नहीं, बल्कि डेटा सेंटर बनाने और चलाने पर भी होता है।
पर्यावरण के लिए अच्छे उपाय:
AI को पर्यावरण के लिए बेहतर बनाने के लिए हम ये काम कर सकते हैं:
- साफ ऊर्जा: डेटा सेंटरों को सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा जैसे साफ स्रोतों से चलाएँ।
- अच्छे कूलिंग सिस्टम: ऐसे कूलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करें जिनमें कम पानी लगे।
- जानकारी साझा करें: कंपनियाँ अपनी ऊर्जा और पानी की खपत के बारे में खुले तौर पर जानकारी दें।
आखिर में: तकनीक और पर्यावरण का सही तालमेल
सैम ऑल्टमैन ने ChatGPT के ऊर्जा और पानी के खर्च के बारे में जो बताया है, वह हमें AI के पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को समझने में मदद करता है। भले ही एक सवाल पर बहुत कम खर्च हो, लेकिन हर दिन होने वाले अरबों सवालों का कुल असर बहुत बड़ा है।
जैसे-जैसे AI हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन रहा है, हमें तकनीक को आगे बढ़ाने और पर्यावरण को बचाने के बीच एक संतुलन बनाना होगा। पारदर्शिता, समझदारी और पर्यावरण-हितैषी तरीकों से, OpenAI जैसी कंपनियाँ एक बेहतर भविष्य बना सकती हैं।